रेत दी दीवार
रजनी छाबड़ा
19 /4 /2024
रेत की दीवार
रेत दी दीवार
रजनी छाबड़ा
19 /4 /2024
रेत की दीवार
सिरायक़ी में मेरी पहली कविता
जे मैंकु रोक सकें
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जे मैंकु रोक सकें, रोक घिन
मैं हवा दे झोंके वांगु हाँ
ख्यालां दी पतंग वाकण
बारिश दी पलेठी बूंदा वाकण
सूरज दी मधरी धुप्प
चन्दरमा दी ठंडक वाकण
मैं पिंजरे च कैद नही रैहवना
खुला असमाँण सद्दे देवन्दा मैंकु
उच्ची उडारी वास्ते तयार हाँ मैं
रजनी छाबड़ा
10. 35
18/4/2024
रजनी छाबड़ा (जुलाई 3, 1955)
पत्नी : स्व. श्री सुभाष चंद्र छाबड़ा
राष्ट्रीयता : भारतीय
जन्मस्थान : देहली
प्रकाशित पुस्तकें : 4 हिंदी काव्य संग्रह 'होने से न होने तक', 'पिघलते हिमखंड', 'आस की कूंची से', 'बात सिर्फ इतनी सी '
इंग्लिश पोइट्री Mortgaged
अंकशास्त्र और नामांक -शास्त्र पर 11 पुस्तकें
अनुदित पुस्तकें : Aspirations, Initiation, A Night in Sunlight, Swayamprabha, Accursed, Haven to Soul, A Handful of Hope हिंदी से , Reveries पंजाबी से व् Fathoming Thy Heart, Vent Your Voice, Language Fused in Blood, The Sun on Paper, In the Art Gallery of My Heart, Across the Border, Sky is the Limit, Let the Birds Chirp राजस्थानी से इंग्लिश लक्ष्य भाषा में अनुदित; मेरे २ हिंदी काव्य संग्रह 'होने से न होने तक' व् 'पिघलते हिमखंड' मैथिली और पंजाबी में व् अंग्रेज़ी काव्य संग्रह Mortgaged बांग्ला और राजस्थानी में अनुदित व् चुनिन्दा कविताएँ 10 क्षेत्रीय भाषाओँ में अनुदित
अन्य उपलब्धियां
स्थानीय, राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काव्य सम्मेलनों में भागीदारी व् 7 अंतर्राष्ट्रीय काव्य संग्रहों में रचनाएँ सम्मिलित , 1991 से 2010 तक, आकाशवाणी, बीकानेर से निरंतर काव्य पाठ प्रसारण
डिजिटल साहित्य में निरंतर योगदान , पोयम हन्टर्स डॉट.कॉम पर अनेकानेक कविताओं के वीडियो , किंडल बुक पब्लिशिंग से 40 इ बुक्स प्रकाशित
आकाशवाणी, बीकानेर से 1991 से 2010 तक निरंतर काव्य पाठ प्रसारण
प्राइड ऑफ़ वीमेन ( आगमन संस्था , देहली ) 2018
नारी गौरव सम्मान 2019 ( मेरठ से)
स्टार एम्बेसडर ऑफ़ वर्ल्ड पोएट्री, 2019 (वर्ल्ड पोएट्री कॉन्फ्रेन्स , भटिंडा)
टैगोर मेमोरियल अवार्ड, 2021
कालीचरण अनुवाद रत्न सम्मान, बी पी एल फाउंडेशन , नॉएडा, 2022
You tube channel : therajni 56
फ़ोन : 9538695141
e mail : rajni. numerologist @ gmail.com
मित्रों , आप सब के साथ अपनी हिंदी कविता का डॉ. शिव प्रसाद द्वारा किया गया मैथिली अनुवाद सांझा करते हुए हर्षित हूँ/ ज्ञात रहे कि इस से पूर्व डॉ साहिब मेरे दो हिंदी काव्य संग्रहों पिघलते हिमखंड व् होने से न होने तक का मैथिली में अनुवाद कर चुके हैं/ हार्दिक आभार इस निहायत खूबसूरत अनुवाद के लिए/
मन का क़द
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सपने तो वो भी देखते हैं
दृष्टि विहीन हैं जो
किस्मत तो उनकी भी होती है
जिनके हाथ नहीं होते
हौंसले बुलन्द हो ग़र
बैसाखियों पर चलने वाले भी
जीत लेते हैं
ज़िन्दगी की दौड़
मन का क़द
ऊंचा रखिये
काया तो आनी जानी है
यह दुनिया फ़ानी है
ज़िंदगी की
यही कहानी है/
रजनी छाबड़ा
6/12/2023
कविता सिरायक़ी में
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मन दा क़द
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सुफ़ने तां ओ वी देखदे हण
जिना दियां अनखा कोणी
किस्मत तन उना दी वी हुंदी ऐ
जिना दे हथ कोणी हुन्दे
हौंसले उचे होवण जे
बैसाखियाँ नाल चलण वाले वी
जीत लींदे ने
ज़िंदगी दी दौड़
मन दा क़द
रख उच्चा
क़द काठी तां आँदी वैंदी हे
एह दुनिया न रहसी हमेशा
ज़िंदगी दी इहो कहाणी हे
रजनी छाबड़ा
18 /4/2024
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पूर्णता से क्यों डरती हूँ मैं ?
शायद इस लिए कि
देखती आयी हूँ
पूनम का चाँद
सकल विश्व को
चांदनी से सरोबार करने के बाद
पूर्णता खोने लगता है
धीमे -धीमे अंधियारी रातों की ओर
सरकने लगता है
भरपूर खुशी के लम्हों के बाद
मेरी खुशियों का चाँद भी
धीमे -धीमे
क्या अमावस की ओर
अग्रसर होने लगेगा ?
उदास अधियारी रातों के बाद
उजास वापिस आएगा
जैसे कि अमावस के बाद
चाँद वापिस धीमे धीमे
चांदनी को
आग़ोश में समेटता है
बढ़ना, घटना
यह सिलसिला
यूं ही चलता है/
रजनी छाबड़ा
6 /12 /2023